23 Dec 2020

Nainital नैनीताल




नैनीताल झीलों का नगर है ,यहां कई झील है।
नैनीताल की खोज पीटर बेरने ने कि थी लेकिन कुछ इतिहासकारों का मानना है कि नैनीताल की खोज ट्रेल ने कि थी वो दुनिया से नैनीताल को छुपाना चाहता था। 1823 में ट्रेल पहली बार नैनीताल आए थे। लेकिन ट्रेल ने नैनीताल के बारे में किसी को नहीं बताया कि कुमाऊ में इतनी सुन्दर जगह है। शायद वो नहीं चाहते थे कि किसी को इस जगह के बारे में नहीं पता लगे ।
1839 में पीटर बेरेन व्यापार के कारण  अल्मोड़ा आए थे पर जाते जाते रास्ता भूल गए और नैनीताल आ पहुंचे  उस समय नैनीताल किसी एक सामंत के कब्जे में था ओर बेरन ने उसे नाव में ले जाकर बीच ताल में नैनीताल के जमीन में धमकी देकर हस्ताक्षर करवा लिए।
ऐसा इतिहासकरों का मनना है । 1816 से उत्तराखंड अंग्रेजो के अधीन था।
अंग्रेजो ने नैनीताल में आकर स्कूल ओर चर्च स्थापित किए। नैनीताल में एशिया का पहला मेथोडिस्ट चर्च है जो गोथिक शैली में बना है। 
नैनीताल में टी फिन टॉप नाम से एक जगह है इसे डरथी की सीट के नाम से भी जाना जता है।
नैनी पिक या चिना पिक भी नैनीताल मै स्थित है यहां से पूरा नैनीताल दिखता है ये नैनीताल की सबसे ऊंची चोटी है यहां से हिमालय भी दिखता है। 
नैनीताल में केव गार्डन भी है। नैनीताल में मंदिर गुरुद्वारा मस्जिद चर्च ओर बौद्ध मंदिर भी है। एक प्रकार से ये नैनीताल की विशेषता है। नैनीताल में जू भी है जहां कई प्रकार के जानवर है ।
नैनीताल में भारत का पहले मोस गार्डन खुला है।
नैनीताल एरिज भी स्थित है जो हल्द्वानी रोड पर स्थित है।
नैनीताल में राजभवन है जिसका आकर E आकार का है । यह पर सुल्तान डाकू की गुफा भी ओर गोल्फ का मैदान भी है जो 1936 में बना है । पहली दूरबीन भी नैनीताल में एरीज में है।
नैनीताल की माल रोड अंग्रेजो के समय की है नैनीताल में ही फसी गधेरा है जहां लोगो को फसी दी जाती थी।
हनुमानगढ़ी भी नैनीताल हल्द्वानी रोड पर स्थित है। उत्तराखंड का हाईकोर्ट भी नैनीताल में है।
नैनीताल के अंदर ही खूरपाताल सडियाताल सुखताल ओर एक छोटा सा झरना भी नैनीताल में है।
नैनीताल में मा नैना देवी का सुंदर मंदिर है।
नैनीताल में ही भीमताल सात ताल नोकुचियाताल मलवाताल गरुड़ ताल नल जम्यांती ताल फलो का बाजार भवाली भी नैनीताल के अंदर आते है।

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